Sunday, May 11, 2014

हाँ तुम बेटी हो मेरी - मैं तुम्हारी माँ... रश्मि सिंह

FOR EVERY LOVELY MOTHER ON THIS EARTH, MY TRIBUTE ON MOTHER'S DAY! #HAPPYMOTHERSDAY

हाँ तुम बेटी हो मेरी - मैं तुम्हारी माँ...



तुमसे ही मिली है मुझे-
सहनशक्ति हज़ारों की...
तुमने दिया शक्ति-
लड़ने तुफानो से..
पहाड़ो को चीर-
अग्नि, जल निकालने की...

तुमने दिया वक़्त को -
मुट्ठी में करने की शक्ति...
हर सितम, जुल्म को-
सितारों में बदलने की शक्ति...

तुम साथ नहीं हो आज मेरे-
तुम्हे याद करती, लड़ती हूँ मैं तुमसे...
कुछ स्म्भहलने तो देती मुझे-
फिर जाती...

तुम कहती हो आकर धीरे से मुझे-
मेरी परछाई हो तुम-
तुम वो हो जो
रुख बदल देती हो-
हर हवा की..
हाँ तुम बेटी हो मेरी - मैं तुम्हारी माँ...

#RashmiSingh #Mothersday, #Mailoveu #Ma #poetry https://www.facebook.com/Rashmii.S

Saturday, May 10, 2014

तट की पाषाण पर- पिटता हुआ लहर हूँ मैं...रश्मि सिंह


1.
झूठा ही सही पर तुम्हारा ही हूँ

लिखना है पर स्याही नहीं मिलती-
जाना है पर राहें नहीं मिलती...

बहारें भी जा लौट आती हैं-
लहरें भी देखो पलटती हैं...

तुम आ जाओ फिर से-
पत्थर पारस बना जाओ...

झूठा ही सही      


पर इस जन्म क़ी बात नहीं है यह-
हर जन्म में तुम्हारा ही हूँ...



2. 
तट की पाषाण पर-
पिटता हुआ लहर हूँ मैं...

तुम गयी तो लौट कर आती नहीं...
मैं बार बार- हर बार-
लौट ही आता हूँ...      



कही तुम आई होगी-
भ्रमजाल में फस तड़पता-
छटपटाता
बार बार- हर बार-
लौट ही आता हूँ मैं ...

तृष्णा कहो -वितृष्णा कहो-
सच की आग में जलता हुआ तिनका कहो...

तट की पाषाण पर-
बस पिटता हुआ एक लहर ही हूँ मैं.

#RashmiSingh     https://www.facebook.com/Rashmii.S

Wednesday, May 7, 2014

तुम आसमां बन गयी - रश्मि सिंह

1. तुम आसमां बन गयी

 इन गेसूयों में कोई एक सफ़ेद रंग भी है
जो आज भी मुझे बहुत पसंद है...
तुम कहती थी न याद है तुम्हे...?
इक दिन-
ये रंग लकीरें खींच जायेगा...

लकीरें खींची तो है...
मगर वो तकदीरों की हैं....
तुम आसमां बन गयी-
मैं धूल रह गया....



2.मैं खड़ा रह गया... मैं ठगा रह गया...

 
वो नज़र वहा से गुज़र गयी... मैं खड़ा रह गया - ठगा रह गया...
सोचा पुकारेगी मुझे कोई लहर...लेकिन सारी लहरें ही गुज़र गयी... मैं खड़ा रह गया... मैं ठगा रह गया...

एक बिजली सी गिरी.. मंज़र ही सारा राख हो गया.... मैं खड़ा रह गया... ठगा ही रह गया...

हर झूठ को सच मान- हर झूठ का इंतज़ार किया... लेकिन हर बार की तरह... मैं छला ही गया...
मैं खड़ा रहगया... मैं ठगा ही गया... बस ठगा ही गया.... 



 3.उलझना न आप उलझनोँ में
 ज़नाब उलझना न आप उलझनोँ में-
न ही किसी लेखिका के अंदाज़े हुस्न में!

क़लम की धार उनकी-
कत्लेआम सरेआम कर जाते हैं.... #RashmiSingh   https://www.facebook.com/Rashmii.S
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